चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में लैंडिंग की थी। आज से एक हफ्ता पहले इसका सफल लैंडिंग हुआ था, और इस अवधि के दौरान विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने कई रोचक खोज कार्य किए। इस दौरान कई नई जानकारियाँ प्राप्त हुईं।
इन अद्वितीय उपलब्धियों से भविष्य में मानव बस्तियों को स्थापित करने में कैसी सहायता मिल सकती है? वर्तमान में, लैंडर और रोवर दोनों विभिन्न कार्यों को पूरा कर रहे हैं और नए डेटा प्राप्त कर रहे हैं। चलिए जानते हैं कि कौन-कौन सी खोज अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
ऑक्सीजन मिला
29 अगस्त 2023 की रात को, प्रज्ञान रोवर ने एक खुलासा किया कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में ऑक्सीजन (Oxygen) मौजूद है। इस काम के लिए वह LIBS पेलोड का उपयोग कर रहा है, जिसका मतलब होता है कि यह यंत्र सिर्फ चंद्रमा की सतह पर पाए जाने वाले खनिजों और रसायनों की खोज और पुष्टि के लिए भेजा गया है।
कैसे पता किया?
लिब्स (LIBS) चांद की सतह पर तेज़ लेज़र किरणों को दिशा देता है जिनका प्रयोग प्लाज़्मा की विश्लेषण के लिए किया जाता है। ये लेज़र किरणें अत्यंत उच्च तेज़ता के साथ पत्थर या मिट्टी पर पड़ती हैं, जिससे वहां पर उच्च ताप प्लाज़्मा उत्पन्न होता है, जैसे कि सूर्य से आने वाली होती है। प्लाज़्मा से उत्पन्न होने वाली रोशनी बताती है कि सतह पर किस प्रकार के खनिज या रासायनिक पदार्थ मौजूद हैं।
भविष्य में फायदा
ऑक्सीजन पाया गया है, और हाइड्रोजन की खोज जारी है। ये दो तत्व मिलकर पानी का उत्तरण कर सकते हैं, जिससे चंद्रमा पर मानवों के निवास के लिए आवश्यक संसाधन हो सकते हैं। ऐसा करके, इन दो तत्वों का उपयोग करके, चांद पर जीवन की स्थापना की जा सकती है।
तापमान में बदलाव
विक्रम लैंडर में स्थापित खास थर्मामीटर ने उजागर किया कि चंद्रमा की सतह के ऊपर और सतह से 10 सेंटीमीटर (करीब 4 इंच) नीचे तक का तापमान में विशेष अंतर होता है। इस काम का क्रेडिट चास्टे (ChaSTE) पेलोड को जाता है, जिसने यह अनुसंधान किया। चास्टे ने चंद्रमा की ऊपरी सतह पर तापमान को 50 से 60 डिग्री सेल्सियस के बीच दिखाया था। साथ ही, चार इंच जमीन के नीचे तापमान पारा माइनस 10 डिग्री सेल्सियस था।
इससे क्या फायदा
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में मानवीय आबादी की स्थापना कहां हुई है, यह जानकरी कहां स्थित है। इस आबादी की स्थापना कैसे की गई है, ताकि तापमान के परिवर्तनों को मानवों के लिए सहयोगी बनाया जा सके, इस पर विचार किया जा सकता है। ऐसे स्थान पर मानवीय कॉलोनी का निर्माण नहीं होगा जहां तापमान के भयानक परिवर्तन होते हैं। यदि ऐसी कोई कॉलोनी बनाई जाती है, तो उससे बचने के लिए उपायों की खोज की जाएगी।
इन रसायनों और खनिजों के मिलने से क्या फायदा होगा
यदि मानव चंद्रमा पर रासायनिक और खनिज सामग्री को परिवर्तित करने के यंत्र साथ ले जाएं, तो वे चंद्रमा पर ही विभिन्न वस्तुएं निर्मित कर सकते हैं। इन यंत्रों का उपयोग चंद्रमा पर मानवीय बस्तियों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आइए देखें कि यह कैसे और किस प्रकार संभव हो सकता है.
सल्फर
चंद्रमा की सतह पर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि भी हुई है। यह सल्फर हलके पीले रंग का रासायनिक पदार्थ होता है, जिसे विद्युत चालकता की कमजोर होती है। यह पानी में घुलता नहीं है। यह सोने और प्लैटिनम को छोड़कर सभी धातुओं के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिसके परिणामस्वरूप सल्फाइड्स उत्पन्न होते हैं।
अब उस स्थान पर इसका उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है, इस पर विचार किया जा सकता है। सल्फर की सहायता से एसिड, उर्वरक, कार बैटरी, तेल की शोधन, पानी की सफाई, खनिज उत्खनन में उपयोग किया जा सकता है। इसका मतलब है कि केवल यंत्र लेकर वहां जाकर यहाँ की सभी उपयोगिताओं को संवाहिक किया जा सकता है.
अल्यूमिनियम
चंद्रमा की सतह पर भारी मात्रा में अल्यूमिनियम भी पाया गया है। इसका मतलब है कि मानवों को चंद्रमा पर विभिन्न प्रकार की चीजें बनाने के लिए सामग्री की आवश्यकता के लिए साधन मिल गए हैं। इन सामग्रियों का उपयोग एस्ट्रींजें के उत्पादन में किया जाता है, जिनसे कांच बनाने में भी मदद मिलती है। अल्यूमिनियम फॉस्फेट के साथ, यह उपयोग कांच, सिरेमिक, कागज़ उत्पाद, कॉस्मेटिक्स, पेंट, वार्निश, धातु की प्लेट आदि के निर्माण में होता है।
यह हल्का और मजबूत धातु होता है। इससे गाड़ियां, वास्त्र, बर्तन, खिड़कियां, और मानवीय बस्तियों के निर्माण में दीवारें, छतें आदि बनाई जा सकती हैं। इसका मतलब है कि इनका उपयोग मानवीय बस्तियों में बेहतरीन तरीके से किया जा सकता है। इससे कोयल तैयार की जा सकती है, और इसे केंस बनाने में भी उपयोग किया जा सकता है। इससे फॉयल का निर्माण भी किया जा सकता है।
कैल्सियम
चंद्रमा पर इसकी पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है, जिसका मतलब है कि इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के चिकित्सा उत्पादों में किया जा सकता है। कैल्सियम कार्बोनेट की सहायता से सीमेंट या मोर्टार बनाया जा सकता है, और इसका उपयोग कांच बनाने में भी किया जा सकता है। इसे टूथपेस्ट में भी मिलाया जा सकता है, और इसका उपयोग दवाओं, खाद्य पदार्थों, पेपर ब्लीच, इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर्स, और साबुन बनाने में भी किया जा सकता है।
लोहा
चंद्रमा की सतह पर लोहा मिलने की पुष्टि हुई है। यह ऐसा तत्व है जो पूरी पृथ्वी, सभी जीवों, और सभी मानवों में पाया जाता है। इसका उपयोग विभिन्न स्थानों पर किया जाता है, जैसे कि दवाओं में, ढांचों के निर्माण में, वाहनों के निर्माण में जैसे की कारें, जहाज, और विमान, और युद्ध के मैदान में भी।
क्रोमियम
यह शरीर के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कार्बोहाइड्रेट को खा जाता है। इससे मोटापा कम होता है, प्रोटीन को तोड़ने में मदद मिलती है, और डायबिटीज को नियंत्रित करती है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के एलॉय बनाने में भी किया जा सकता है, जैसे कि स्टेनलेस स्टील में। यह लेदर प्रोडक्ट की टैनिंग में भी मदद करती है, इसका मतलब है कि यह एक ऐसा उत्पाद है जिससे लोहा और अल्यूमिनियम के साथ मिलकर विभिन्न उत्पाद बना सकता है, और इसका मानवों के लिए उपयोग हो सकता है।
टाइटैनियम
यह दुनिया का सबसे मजबूत और हल्का वजन का धातु है, और इसे चंद्रमा पर भी पाया गया है। यह एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर निर्माण में उपयोग किया जाता है, साथ ही इसे बुलेटप्रूफ जैकेट और आर्मर प्लेटिंग में भी इस्तेमाल किया जाता है। नौसैनिक जहाजों के निर्माण के लिए भी इसका प्रयोग होता है, इसका मतलब है कि यह एयरोस्पेस, मेडिकल, केमिकल, सैन्य, और खेल के सामान के निर्माण में पूरी दुनिया में इस्तेमाल होता है।
मैन्गेनीज
यह चंद्रमा पर भी पाया जाता है, और इसका उपयोग औद्योगिक और बायोलॉजिकल माध्यमों में किया जाता है। यह इंसानी शरीर में कोशिकाओं को डैमेज से बचाने में मदद करता है, ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होता है, हड्डियों को मजबूत करता है, इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है, और इसका उपयोग कांच निर्माण, पिगमेंट निर्माण, और बैटरी निर्माण में भी होता है।
सिलिकॉन
चंद्रमा पर पाया गया इस पदार्थ का उपयोग धरती पर कई तरह से किया जाता है, जैसे कि कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में सीमेंट और बिल्डिंग मोर्टार के निर्माण में, सिरेमिक निर्माण में, बॉडी इम्प्लांट्स के रूप में, जैसे कि ब्रेस्ट इम्प्लांट्स, कॉन्टैक्ट लेंस में, एलॉय निर्माण में, इलेक्ट्रिकल स्टील के निर्माण में, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए सिलूमिन निर्माण में, सेमीकंडक्टर्स, आदि में।
इस कहानी का संक्षेप यह है कि चंद्रमा पर जो कुछ भी मिला है, या जिसकी खोज चंद्रयान-3 कर रहा है, वह इंसानों को चंद्रमा पर बसने के लिए पर्याप्त है। लेकिन इससे पहले हमें वहां पर बसने के लिए दो मुख्य चीजों, जैसे कि ऑक्सीजन युक्त वायु और पानी, की जरूरत है। क्योंकि वहां के वायुमंडल में ये स्वत: उत्पन्न नहीं होंगे, हमें इन्हें वहां पर बनाने की कोशिश करनी होगी।
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