मोटापा कई बीमारियों का परिणाम हो सकता है, और मोटे व्यक्ति को अक्सर मोटे नहीं होने वाले व्यक्ति की तुलना में कम कार्यात्मक माना जाता है। उन्हें चलने में कठिनाई हो सकती है, और हृदय रोग, अस्थमा और मधुमेह जैसी बीमारियाँ होने की संभावना अधिक होती है। एक मोटे व्यक्ति के लिए वजन कम करना और एक ही समय में अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करना मुश्किल हो सकता है।
मोटापा होने के कारण
- घी, मक्खन, तेल आदि का अधिक प्रयोग करने से।
- ऐसा भोजन जो घी, तेल आदि से तैयार हो। जिसमें डायरी फाइबर की कमी रहे।
- मांस, अण्डा, उड़द की दाल का अधिक सेवन।
- वंशानुगत मोटापा भी नहीं बख्शता।
- जो व्यक्ति स्वादिष्ट भोजन या पदार्थ देखकर अनियंत्रित तौर पर खाता ही जाए। भूख से भी अधिक खाने का आदी हो जाए। अपनी गलत आदत के आधीन सारा दिन कुछ न कुछ खाता ही रहे।
- खाये तो खूब, मगर शारीरिक श्रम बहुत कम करे। अपने अन्दर प्राप्त कैलोरीज़ को जलाने से पीछे रह जाए। आरामपरस्त बनता जाए। खुराक के अनुरूप परिश्रम न करे। उसे मोटापा तो आएगा ही।
- ऐसे सभी पदार्थ, जिनमें कार्बोहाइड्रेट्स अधिक रहें, उनका अधिक सेवन करना।
- जिस व्यक्ति की अन्तःस्रावी ग्रंथियां ठीक काम न करें, वह भी मोटा होता जाता है।
- सफेद चीनी की अधिक मात्रा सेवन करने से यह हो जाता है।
- ऐसा आहार लेते रहना, जिससे काफी मात्रा में गैस, वायु बने।
लम्बे कद का पतला व्यक्ति उतना ही भद्दा लग सकता है जितना कि छोटे कद का मोटा व्यक्ति, और कद के अनुसार वजन तय किया गया है। एक टेबल उपलब्ध है। इसके 10 प्रतिशत के भीतर चिपकना सामान्य माना जाता है। इस बात का ध्यान रखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को सुपाच्य, सामान्य आहार ग्रहण करना चाहिए तथा व्यायाम तथा परिश्रम में पीछे नहीं रहना चाहिए।
अनेक रोगों का जन्मदाता मोटापा
मोटापा एक अभिशाप है यह ईश्वर या प्रकृति द्वारा थोपी गई बीमारी नहीं। यह हमारे ही गलत रहन-सहन व खान-पान के कारण आता है। मगर जब यह आ जाता है तो अपने पीछे-पीछे ले आता है बहुत से रोगों को।
- मोटे व्यक्ति के गुर्दे तथा अन्य स्रावी अंग कुछ-कुछ निष्क्रिय होने लगते हैं तथा विजातीय द्रव्य जैसे पसीना, मल, पेशाब आदि ठीक बाहर नहीं निकाल पाते। अतः उसके शरीर से सदा दुर्गन्ध आती रहती है।
- मोटे व्यक्ति को श्वास रोग हो जाना आम बात है। वह चल-फिर नहीं सकता। थोड़ा-सा परिश्रम करने पर थक जाता है।
- मोटे व्यक्ति के हाथों, पांवों, जोड़ों में दर्द रहने लगता है।
- मोटे व्यक्ति के बहुत से अंगों में सूजन हो जाती है।
- ऐसे व्यक्ति को हृदय रोग हो जाता है। चूंकि उसके रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा सामान्य बढ़ जाती है, तभी यह रोग होता है।
- मोटापा अधिक हो तो हर अंग को अधिक काम करना पड़ता है जिससे व्यक्ति को थकावट बनी रहती है।
- मोटा व्यक्ति सामान्य व्यक्ति की तरह शौच भी नहीं कर सकता। उसे या पेचिश रहेगी या कब्ज़ ही ।
- मोटे व्यक्ति के पेट, गर्दन तथा जांघों आदि में मांस की अधिकता हो जाती है। इसलिए मांस लटककर बदशक्ल कर देता है।
- मोटे व्यक्ति की पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है। उसे पेट व छाती से सम्बन्धित बहुत विकार हो जाते हैं जैसे- (1) गैस बनना, (2) वायु की अधिकता, (3) खट्टे डकार आना, (4) पेट में दर्द रहना, (5) छाती में दर्द होना, (6) तेज़ाबी डकारें आना आदि।
- मोटे व्यक्ति के जोड़ों में तैलीय द्रव्यों में कमी हो जाती है। इस कारण वह ठीक से उठ बैठ, चल-फिर नहीं सकता।
- ऐसे व्यक्ति को वात तथा गठिया रोग हो जाते हैं।
- मोटे व्यक्ति के जोड़ों में कैल्शियम जम जाता है। दर्द बढ़ जाता है।
- मोटा व्यक्ति आलस्य में घिरा रहकर अपने काम पूरे नहीं कर पाता।
- मोटे व्यक्ति के अंग तथा मांसपेशियां कड़े हो जाते हैं।
- मोटे व्यक्ति के अंगों का लचीलापन कम हो जाता है तथा वह भार उठाने योग्य नहीं रहता।
मोटा व्यक्ति न तो घर का होता है न घाट का और न अपना, न परिवार का और न ही काम का। सीमित, आसानी से पचने वाला भोजन और नियमित व्यायाम मोटापे को कम करने में मदद करते हैं। मोटापा घटने के बाद व्यक्ति अधिक सक्रिय हो जाता है।
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